19 जुलाई, 2009

आपका नोट असली है या नकली

तेजी से बढ़ रहे नकली नोटों के चलन को रोकने की दिशा में इस्टर्न बिहार चेम्बर आफ कामर्स एण्ड इंडस्ट्रीज के सौजन्य से रविवार को एक स्थानीय होटल में भारतीय रिजर्व बैंक पटना के अधिकारियों ने जागरूकता शिविर लगाकर व्यापारियों को नकली और असली नोटों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मौके पर बड़ी संख्या में व्यापारियों के साथ-साथ लोग उपस्थित थे। शिविर में आरबीआई पटना के उप कोषागार पदाधिकारी घनश्याम पांडे ने व्यापारियों को नकली और असली नोटों के बारे में विस्तार से जानकारी देने के बाद कहा कि आरबीआई नकली नोटों के चलन को रोकने के लिए पूरे देश में जागरूकता अभियान चला रहा है। श्री पांडे ने बताया कि सबसे अधिक नकली नोटों की खपत पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश से होती है। इसलिए इनकी सीमाओं के सीमावर्ती जिलों के बैंकों में नकली नोटों की पहचान करने वाली मशीनें लगायी गयी हैं। उन्होंने बताया कि एक मशीन की कीमत 18 से 25 लाख रुपये तक होती है। श्री पांडे ने कहा कि अधिकांश लोग नोट लेते समय उसे देखते तक नहीं है, जोकि बेहद गलत है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षो में देश में नकली नोटों के चलन में काफी तेजी आयी है। इसकी रोकथाम के लिए सरकारी स्तर पर कई योजनाओं को भी संचालित किया जा रहा है। मौके पर आरबीआई पटना के प्रबंधक अभिषेक सिन्हा भी मौजूद थे। शिविर की अध्यक्षता चेम्बर उपाध्यक्ष रामगोपाल पोद्दार ने की, जबकि संचालन मनोज जैन ने किया।

जानिए अपने एक हजार के नोट को

1.असली नोट पानी में डालने से गलता नहीं है।

2.नोट को आंख की सीध में रखकर देखने से महात्मा गांधी के चित्र के पीछे वाली खड़ी पट्टी में अंक '1000' की एक गुप्त प्रतिमा दिखायी देती है।

3.महात्मा गांधी के चित्र की बाई ओर एक सुरक्षा धागा है, जोकि आंशिक रूप से अंदर एवं आंशिक रुप से बाहर दिखायी देता है। नोट को अलग-अलग कोणों से देखने पर सुरक्षा धागे का रंग हरे से बदलकर नीला हो जाता है।

4. सुरक्षा धागा को अल्ट्रावायलेट रोशनी में रखने पर धागा एक सतत रेखा जैसी दिखायी देती है।

5.महात्मा गांधी के चित्र और खड़ी पट्टी के बीच के क्षेत्र में मैग्नीफाइंग ग्लास से अक्षर आरबीआई और अंक एक हजार साफ देखे जा सकते हैं।

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