30 अप्रैल, 2012

नुपुर तलवार को नहीं मिली बेल, भेजी गयी जेल


गाजियाबाद । देश की सबसे बड़ी इस मर्डर मिस्ट्री में सोमवार को आरुषि की मां नूपुर तलवार को कोर्ट ने गाजियाबाद की डासना जेल भेज दिया ।
सीबीआई कोर्ट ने पहले नुपुर की अर्जी खारिज कर दी और इसके बाद सेशंस कोर्ट ने उन्‍हें 14 चौदह दिन के लिए जेल भेज दिया। नूपुर तलवार ने कोशिशें तो तमाम कीं, लेकिन सेशंस कोर्ट ने उन्हें जेल भेज ही दिया। सेशंस कोर्ट ने जमानत पर सुनवाई का फैसला मंगलवार तक के लिए टाल दिया। नूपुर तलवार की तरफ से लगातार मांग की जा रही थी कि जमानत नहीं तो अंतरिम जमानत दे दी जाए, लेकिन कोर्ट ने फैसला मंगलवार तक के लिए टाल दिया। कोर्ट में राजेश तलवार, दिनेश तलवार, मां और नजदीकी रिश्तेदार मौजूद थे। फैसले के बाद नूपुर बेचैन सी नजर आईं। यह पता चलने पर कि उन्‍हें सोमवार रात जेल में काटनी होगी वो रो पड़ीं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सोमवार की सुबह नूपुर आजाद अपार्टमेंट से गाजियाबाद कोर्ट पहुंचीं। कोर्ट आते ही सीबीआई ने उन्‍हें हिरासत में ले लिया। गिरफ्तारी के फौरन बाद उन्‍होंने जमानत की अर्जी दाखिल की, लेकिन सीबीआई ने उसका विरोध किया। सीबीआई ने कोर्ट में कहा कि नूपुर ने कोर्ट की अवहेलना की और पेशी से बचती रहीं हैं। सीबीआई ने दलील देते हुए कहा कि स्पेशल कोर्ट जमानत नहीं दे सकती, जिसके बाद सीबीआई कोर्ट ने जमानत की अर्जी ठुकरा दी। इसके बाद नूपुर जमानत के लिए सेशंस कोर्ट पहुंच गई। उनकी मांग थी कि सेशंस कोर्ट उन्हें अंतरिम जमानत दे और सुनवाई पूरी होने तक जेल नहीं भेजा जाए, लेकिन एडिश्नल सेशंस जज ने फैसला मंगलवार तक के लिए टाल दिया।

नूपुर और सीबीआई की दलीलें

जाने से बचने और जमानत पाने के लिए नूपुर तलवार ने आरुषि की मां और महिला होने की दलील दी। उनके वकीलों ने कहा कि नूपुर आरुषि केस में आरोपी नहीं हो सकती हैं, वो तो पीड़ित हैं। इस पर सीबीआई ने कहा कि उस रात सिर्फ आरुषि की ही नहीं, बल्कि घरेलू नौकर हेमराज की भी हत्‍या हुई थी। नुपुर डबल मर्डर केस में आरोपी हैं। नूपुर की ओर से महिला होने की दलील रखी गई लेकिन सीबीआई ने कहा है कि ये रियायत सिर्फ सात साल की सजा पर लागू हो सकती है। नूपुर ने कहा कि उन्हें जमानत दे दी जाए, लेकिन सीबीआई ने कहा कि जमानत नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने कोर्ट की अवहेलना की है। उन पर फांसी और उम्रकैद की धारा 302 लगी हुई है।

भगवान की शरण में नूपुर तलवार

नूपुर और उनके पति राजेश तलवार जब सुबह करीब 10:15 बजे पहुंचे तो पुलिस वहां पहले से मौजूद थी। नूपुर को पिछले दरवाजे से अदालत ले जाया गया। सुनवाई के दौरान नूपुर तलवार के हाथ में एक धार्मिक किताब थी, जिसे वे आंखें बंद करके लगातार पढ़ रही थीं। फिलहाल राजेश तलवार जमानत पर बाहर हैं।
नूपुर को जैसी ही पता चला कि उन्‍हें जेल जाना होगा तब उनके सब्र का बांध टूट पड़ा और वो फूट-फूट कर रोने लगीं। उनके पति राजेश तलवार ने उन्‍हें काफी समझाया जिसके बाद वो थोड़ी शांत हुई।

जेल में कैसी होगी नूपुर तलवार की जिंदगी?

आरुषि की मां नूपुर तलवार को डासना जेल महिला बैरक नंबर 13 में रखा गया है। इस बैरक में सभी तरह के अपराधों की आरोपी 69 महिला कैदी पहले से मौजूद हैं। जेल में नूपुर तलवार को बाकी कैदियों जैसा ही खाना मिलेगा। वो लाइब्रेरी से लेकर किताबें पढ़ सकती हैं। गर्मी के बावजूद जेल में नूपुर को एसी-कूलर नहीं मिलेगा। बाकी कैदियों की तरह उन्हें भी पंखा मिलेगा और ठंडा पानी पीने के लिए एक घड़ा दिया जाएगा। जेल में नूपुर के लिए अलग से कोई व्यवस्था तो नहीं की जाएगी, लेकिन सुरक्षा के कड़े इंतजाम जरूर रखे जाएंगे।
अब तक क्‍या हुई कार्रवाई?

आरुषि-हेमराज मर्डर केस में नूपुर और राजेश तलवार दोनों को सीबीआई ने आरोपी बनाया है। आरुषि-हेमराज मर्डर केस में आरुषि की मां नूपुर तलवार और पिता राजेश तलवार के खिलाफ सीबीआई को अबतक कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं, लेकिन सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट में दोनों पर शक जताया था। इसी शक की बुनियाद पर दोनों की मुश्किलें बढ़नी शुरू हो गईं। बाद में सीबीआई ने नूपुर और राजेश को मर्डर केस में आरोपी बना दिया। इस केस में नूपुर तलवार पहले कभी जेल नहीं गईं। उन्‍हें पहली बार जेल की हवा खानी पड़ रही है। हालांकि इसकी नौबत चार साल बाद आई है, जबकि राजेश तलवार को 23 मई 2008 में जेल जाना पड़ा था और उन्हें गाजियाबाद की डासना जेल भेजा गया था। हालांकि बाद में राजेश को जमानत मिल गई थी। तब से वो अभी तक जमानत पर हैं। नूपूर की गिरफ्तारी के लिए गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने गिरफ्तारी वॉरंट भी निकाला था लेकिन सीबीआई उन्हें पहले गिरफ्तार नहीं कर पाई थी।

क्‍या है पूरा मामला

ग़ौरतलब है कि साल 2008 में 15-16 मई की दरम्यानी रात नोएडा में हुए आरुषि हत्याकांड ने सनसनी फैला दी थी। उसके बाद से आज तक न तो कातिल का कुछ पता लग पाया है और न ही कत्ल की वजह साफ हो पाई है।15 मई 2008 की रात आरुषि की हत्या हुई थी और उसके अगले दिन एल-32 के छत पर हेमराज का शव मिला था।शुरुआती जांच में नोएडा पुलिस ने हेमराज को कातिल ठहराया था और उसकी तलाश में जुट गई थी। लेकिन मामले में मोड़ तब आया जब हेमराज का शव घर की छत पर मिला। सीबीआई की क्‍लोजर रिपोर्टमामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई, लेकिन ढाई साल की जांच के बाद जांच एजेंसी गाजियाबाद की अदालत में सबूत ने होने की वजह से क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी।निचली अदालत ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया और मौजूदा सबूतों के आधार पर आरुषि के माता-पिता नूपुर और राजेश तलवार को आरोपी बनाने के लिए कहा। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यह मामला फिलहाल निचली अदालत में ही चलेगा।सीबीआई की क्‍लोजर रिपोर्ट के मुताबिक आरुषि केस में पुलिस जांच में मिले कुछ तथ्य इस प्रकार थे:आरुषि के शव को हत्या के बाद सफेद चद्दर से लपेट दिया गया था.आरुषि के बेड पर बिछी चद्दर पर कोई खास सलवट तक नहीं थी.आरुषि के प्राइवेट पार्ट को साफ कर दिया गया था जो पोस्टमार्टम में एक अहम सबूत हो सकता था.छत पर हेमराज के शव को घसीटकर उसे कूलर पैनल से ढंकने के साथ ही सामने की लोहे की रेलिंग पर एक चद्दर फैला दी गई थी.हमेशा टैरेस के खुले रहने वाले गेट को पहली बार 15 की रात में ताला लगाया गया था.सीढि़यों पर गिरे खून को साफ करने की कोशिश की गई थी.तलवार के खाने की मेज पर बिना गिलास स्‍कॉच की बोतल मिली थी. इस बोतल पर खून के निशान थे. ऐसा माना जा रहा है कि दोनों हत्याओं के बाद खूनी ने घर के अंदर आकर शराब पी थी. ऐसा व्यक्ति घर सदस्य अथवा कोई नजदीकी ही हो सकता है.जांच रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया है कि आरुषि के बेड पर उसके प्राइवेट पार्ट के नीचे बिस्तर पर गीले दाग थे, जबकि उसके पायजामें में कोई दाग नहीं लगा था. पायजामे का नाड़ा भी खुला हुआ था. जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह पायजामा उसे हत्या के बाद पहनाया गया था।

सौजन्य ----- नीरज राजपूत, स्‍टार न्‍यूज़ संवाददाता

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