गायत्री देवी के इकलौते पुत्र स्व. जगत सिंह के बेटे देवराज और बेटी लालित्या का कहना है कि यह वसीयत पूर्व महाराज भवानी सिंह के पास सुरक्षित रखी थी। गायत्री देवी ने यह वसीयत कुछ समय पहले ही विदेश जाने से पूर्व उन्हे सौंपी थी। देवराज ने बताया कि कुछ साल पहले तक दादी के उनके साथ तनावपूर्ण संबंध थे। लेकिन बाद में संबंधों में मधुरता आ गई थी और राजामाता ने अपनी संपत्ति का वारिस हम दोनों को बताया था।
जानकारी के मुताबिक पूर्व राजमाता की अरबों रुपये की संपत्ति दूर-दूर तक बिखरी है। देश में ही नहीं इंग्लैंड, थाईलैंड और अमरिका में भी उनकी संपत्ति है। स्थाई संपत्तियों के अलावा महंगे हीरे-जवाहरात और आभूषण भी शामिल हैं। संपत्तियों का सही आकंड़ा ना तो राजपरिवार के पास है और ना ही उनके निकटस्थों के पास।
प्रमुख संपत्तियां
लिलीपूल, मोतीडूंगरी किला स्थित तख्तेशाही महल, जयमहल पैलेस, रामबाग पैलेस, इंग्लैंड में कोठी, ईसरदा की संपत्तियां, एसएमएस स्कूल, एमजीडी स्कूल, जमवारामगढ़ झील के मध्य शूटिंग लाज, हवा ओधी, बंजर जमीन 3800 एकड़, लालवास बीड़ की 1900 एकड़ जमीन, सवाईमाधोपुर शूटिंग लाज, दुर्गापुरा फार्म, लालनिवास, हथरोई फोर्ट, आबेर माताजी, गोविंद देवजी मंदिर और गलता मंदिर से जुड़ी संपत्तियां, जयपुर हाउस, नई दिल्ली हाउस, इंग्लैंड में सेंट हिल एस्टेट, फार्म, भवन और फ्लैट।