27 अगस्त, 2009

दलाईलामा के अवतार पर चीन की नजरें


तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरु दलाईलामा के अगले अवतार पर चीन की नजरें जमी हुई हैं। इस बात की पूरी संभावना है कि चीन 11वें पंचेन लामा की तर्ज पर अगला दलाईलामा खुद ही तय करेगा। जिस तरह से तिब्बत की राजधानी ल्हासा के भीतर माहौल बनाया गया है, उससे यह बात स्पष्ट होती नजर आ रही है कि चीन का अगला कदम दलाईलामा के 15वें अवतार की घोषणा करना होगा। बस चीन को इंतजार है तो 14वें दलाईलामा तेंजिन ग्यात्सो के कदम का। जैसे ही दलाईलामा अगले अवतार के बारे में संकेत देंगे, चीन अपना दलाईलामा घोषित कर देगा।

चीन के पास ऐसा करने के लिए दलील भी है। उसका कहना है कि दलाईलामा का अवतार खोजने से पहले कुछ परंपराओं का निर्वहन करना होता है, जिन्हें तिब्बत में ही पूरा किया जा सकता है। तभी तो तिब्बत के दिलो-दिमाग पर यह छाप छोड़ दी गई है कि 14वें दलाईलामा धर्मगुरु नहीं बल्कि एक राजनेता हैं।

याद रहे कि इससे पहले चीन 11वें पंचेन लामा गेधुन चोयकी नीमा के मामले में भी ऐसा कर चुका है। वर्ष 1995 में जब दलाईलामा ने छह वर्षीय बालक गेधुन चोयकी नीमा को पंचेन लामा के रूप में मान्यता दी तो चीन ने ग्याप्तसेन नोरबू को पंचेन लामा के रूप में मान्यता दे डाली। उसके बाद से दलाईलामा द्वारा घोषित पंचेन लामा परिवार सहित लापता हैं। तिब्बतियों में पंचेन लामा को दलाईलामा के बाद का स्थान हासिल है।

इसके चलते ही 14वें दलाईलामा तेंजिन ग्यात्सो ने कुछ साल पहले यह कहा था कि अगला दलाईलामा हिंदुस्तान में भी पैदा हो सकता है। और वह कोई महिला भी हो सकती है। इसके बाद चीन ने इसकी काट के लिए दलील पैदा कर ली है। इसलिए ही तिब्बत के भीतर इस बात का प्रचार किया जा रहा है कि दलाईलामा के अवतार के लिए जो धार्मिक परंपरा है उसे तिब्बत में ही पूरा किया जा सकता है। साथ ही उसे कोई धार्मिक गुरु ही पूरा कर सकता है। जब 14वें दलाईलामा धार्मिक गुरु ही नहीं रहे, तो वह अगले अवतार की औपचारिकताओं को कैसे पूरा कर सकते हैं। इससे स्पष्ट हो जाता है कि दलाईलामा के अवतार के लिए चीन ने अंदरखाने पूरी तैयारी कर रखी है। बस उसे इंजतार है तो 14वें दलाईलामा के अगले कदम का।

तिब्बतियों में दलाईलामा का पद सर्वोच्च माना जाता है। परंपरा के अनुसार दलाईलामा अपने जीते-जी अगले दलाईलामा के बारे में कोई न कोई संकेत देते हैं। उसी आधार पर अगले दलाईलामा की खोज शुरू होती है। दलाईलामा के अवतार का पता चलने पर उसे तिब्बत के कुंबुम मठ लाया जाता है। उसके बाद अभिषेक किया जाता है। तिब्बत में रहते हुए तो दलाईलामा के पास इसके बाद सभी तरह की धार्मिक शक्तियों के साथ-साथ राजनीतिक शक्तियां भी आ जाती थी। पर निर्वासन में आने के बाद से दलाईलामा को धार्मिक गुरु का दर्जा हासिल है।

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