02 अगस्त, 2009

फ्रेंडशिप डे

बदलते समय के साथ अब दोस्ती की परिभाषा भी बदल गई है। आजकल के युवा औपचारिकता में विश्वास करने की बजाय सहजता को अधिक अपनाते हैं। वे दुनिया की परवाह किए बगैर मनमौजी ढंग से अपनी जिंदगी के हर पल का लुत्फ उठाते हैं फिर चाहे वह दोस्त के साथ शरारत या छेड़छाड़ करना हो या उसकी हर चीज पर अपना हक जताना ही क्यों न हो।

युवाओं के इस लड़कपन के प्यारे से रिश्ते में प्रेम व विश्वास का कारण इनके विचारों का खुलापन है। इन्हें जमाने की परवाह नहीं बल्कि केवल अपनी चिंता है और ऐसा होना भी चाहिए। दोस्ती में औपचारिकता नहीं बल्कि अपनत्व झलकना चाहिए।

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