18 अगस्त, 2009

शहाबुद्दीन की याचिका पर फैसला सुरक्षित


पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की जेल में विशेष अदालत गठित किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को सुप्रीमकोर्ट ने सभी पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
शहाबुद्दीन ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल कर सिर्फ उनके मुकदमों की सुनवाई के लिए जेल में विशेष अदालत गठित किए जाने को चुनौती दी है। शाहबुद्दीन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी की मुख्य दलील थी कि विशेष अदालत गठित करने की अधिसूचना गैरकानूनी है, क्योंकि यह अदालत सिर्फ एक व्यक्ति को लक्ष्य करके बनाई गई है। इससे संविधान के तहत अभियुक्त को मिले समता के अधिकार का उल्लंघन होता है। यही नहीं, अधिसूचना प्रकाशित नहीं हुई थी इसलिए भी इसे कानूनी नहीं कहा जा सकता है। जबकि बिहार सरकार के वकील रंजीत कुमार व मनीष की दलील थी कि अधिसूचना कानूनी है। सरकार ने हाईकोर्ट से मशविरा करने के बाद अदालत का गठन किया और जिन परिस्थितियों में विशेष अदालत गठित की गई उन पर भी विचार किया जाना चाहिए। बिहार सरकार की दलील थी कि सामान्य अदालत में ट्रायल चलना संभव नहीं था। क्योंकि उसमें सुरक्षा, लोक प्रशासन व अदालती कार्यवाही में व्यवधान के मुद्दे जुड़े थे। शहाबुद्दीन ने खिलाफ तीस से ज्यादा मामलों की सुनवाई होनी थी इसलिए जेल में ही विशेष कोर्ट गठित की गयी। न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी व न्यायमूर्ति एमके शर्मा की पीठ ने सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

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