09 अगस्त, 2009

भारत से प्रेम करते हैं, पूजा नहीं

दारूल उलूम के एक फतवे में कहा गया है कि हम भारत से प्रेम करते हैं, लेकिन उसकी पूजा नहीं।
देश की इस विख्यात इस्लामिक संस्था के फतवा विभाग से सवाल किया गया था कि क्या मुस्लिम होने के नाते राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्’ गाया जा सकता है। इसके जवाब में फतवे में कहा गया कि वन्दे मातरम् के कुछ हिस्से ऐसे हैं, जो इस्लामिक आस्था के खिलाफ हैं।
फतवे में कहा गया कि इसमें भारतीय भूमि की तुलना ईश्वर से करते हुए उसकी पूजा की बात की गई है। यह इस्लाम के एक ईश्वरवाद और उसके पूजा के सिद्धांतों के खिलाफ है, इसलिए मुस्लिम बच्चों को इसे गाने से बचना चाहिए।
इसमें आगे कहा गया हम भारत के प्राचीन निवासी हैं, हम अपने देश से प्रेम करते हैं, लेकिन इसकी पूजा नहीं, इस्लाम केवल एक अल्लाह की पूजा की अनुमति देता है और मुस्लिम अल्लाह के अलावा और किसी की पूजा नहीं कर सकते।
दारूल उलूम की वेबसाइट पर जारी किए गए एक अन्य फतवे में भारत के सभी गैर मुस्लिमों को जबरन मुस्लिम बनाने की सलाह को ‘बकवास’ बताते हुए कहा गया कि इस्लाम में इसकी इजाजत हरगिज नहीं है।
फतवे में कहा गया कि इस्लाम न तो गैर मुस्लिमों को जबरन मुसलमान बनाने की अनुमति देता है और न ही उनकी हत्या करने की। कुरान कहता है कि धर्म में किसी तरह की बाध्यता नहीं होना चाहिए। इस्लाम के अनुसार कोई भी व्यक्ति इस्लाम अपनाने या अपने धर्म में बने रहने के लिए स्वतंत्र है।

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