19 अगस्त, 2009

दुष्कर्म मामले में हत्यारे बाप की फांसी टली


अपनी चार साल की बेटी के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर देने वाले नील कुमार उर्फ अनिल कुमार को 21 अगस्त को फांसी नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने नील की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसकी फांसी पर अंतरिम रोक लगा दी है।

बुधवार को नील के वकील शेखर प्रीत झा ने सुप्रीम कोर्ट से 21 तारीख को फांसी दिए जाने के आदेश पर तत्काल रोक की मांग की। शेखर ने कहा कि उनका मुवक्किल निर्दोष है, उसके खिलाफ सिर्फ परिस्थितिजन्य साक्ष्य हैं और किसी ने भी उसे हत्या करते नहीं देखा है। साथी अभियुक्तों को अदालत बरी कर चुकी है। अगर उसकी फांसी पर रोक नहीं लगाई गई तो वह 21 अगस्त को फांसी पर चढ़ा दिया जाएगा। पीठ ने उनकी दलीलें सुनने के बाद फांसी पर फिलहाल रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि मामले से जुड़े दस्तावेज अभी नहीं आए हैं। ऐसे में चार सप्ताह बाद मामला फिर सुनवाई के लिए लगाया जाए।

नील के खिलाफ मुकदमा नील की पत्नी ने ही दर्ज कराया था। घटना वर्ष 2007 में हरियाणा के बिलासपुर गांव की है। नील की पत्नी 26 जून को मायके चली गई। वह अपनी चार साल की बेटी और बेटे को ससुराल में ही छोड़ गई थीं। करीब चार बजे उन्हें फोन पर सूचना मिली कि उनके पति ने बेटी के साथ दुष्कर्म किया है। दूसरे दिन सुबह वह कई बिरादरी वालों को लेकर ससुराल पहुंचीं। पंचायत बुलाई गई, लेकिन पंचायत किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। इस पर नील की पत्‍‌नी बेटी और बेटे को उसी हालत में छोड़ कर वापस मायके चली गई। अगले दिन, 28 जून को उन्हें फोन पर सूचना मिली कि पति ने बेटी की हत्या कर दी है। तब उन्होंने पति और अन्य संबंधियों के खिलाफ हत्या और बलात्कार का मुकदमा दर्ज कराया। सत्र अदालत ने नील के अपराध को जघन्य मानते हुए उसे फांसी की सजा सुनाई। पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट भी फांसी पर मुहर लगा चुका है। अब नील ने अंतिम विकल्प के तौर पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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