30 अप्रैल, 2012

सहमति से संबंध बनाने की उम्र पर फिर हो विचार

बदलते सामाजिक हालात को देखते हुए सहमति से शारीरिक संबंध बनाने में लड़की की उम्र तय करने पर सरकार को दोबारा विचार करना चाहिए। रोहिणी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लॉ की अदालत ने लड़की के अपहरण के एक मामले में आरोपी युवक को बरी करते हुए यह टिप्पणी की है।


अदालत ने माना कि अधिकांश मामलों में देखा जा रहा है कि सहमति से संबंध बनाने वाले लड़के-लड़की के बीच की उम्र का फासला अधिक नहीं होता। ऐसे में इसके लिए कानून बनाते समय संस्कृति, सामाजिक संवेदना और बदलते सामाजिक परिवेश को ध्यान में रखना चाहिए।
दरअसल, इस मामले में एक युवक वर्ष 2008 में अपनी प्रेमिका को साथ लेकर घर से भाग गया था। परिजनों के विरोध के चलते उन्होंने यह कदम उठाया था। लड़की के परिजनों ने तब बेटी के नाबालिग होने का हवाला देते हुए अपहरण का केस दर्ज कराया था।
हालांकि, बाद में लड़की खुद लौट आई थी। जांच के बाद घटना के वक्त लड़की उम्र 18 और लड़के की उम्र 19 पाई गई थी। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने सहमति से शारीरिक संबंधों से जुड़े विधेयक में पहले लड़की की उम्र 16 साल रखी थी, मगर बाद में विरोध होने पर इसे फिर से 18 साल ही कर दिया गया।

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