संघ के मुखिया मोहन भागवत ने कहा कि चीन के साथ किसी भी तरह के टकराव की स्थिति में भारत पूरी तरह तैयार नहीं है, जबकि अपने प्रभाव से चीन ने भारत को चारों तरफ से घेर लिया है। हमें अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए।
आरएसएस प्रमुख बनने के बाद रेशिमबाग ग्राउंड में दशहरा के अपने पहले संबोधन में भागवत ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर चिंता जताते हुए आरोप लगाया कि चीन ने पड़ोसी देशों में अपने प्रभाव से भारत को लगभग चारों ओर से घेर लिया है।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद कई बार युद्ध होने और सीमा के अतिक्रमण के बावजूद हम अपनी सुरक्षा तैयारियों को लेकर लापरवाह हैं। उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान और चीन के व्यवहार और उनकी मंशा से परिचित हैं। बांग्लादेश भी हमारे लिए समस्याएँ खड़ी कर रहा है। अमेरिका खुलेआम दोहरा खेल खेल रहा है और साथ ही महाद्वीप में गुपचुप तरीके से अपने हितों की रक्षा कर रहा है।
भागवत ने दावा किया कि अमेरिका नेपाल, म्याँमार और श्रीलंका जैसे देशों को अपने खेमे में मिलाने के लिए जी-तोड़ प्रयास कर रहा है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि आसानी से घुसपैठ योग्य सीमा से लगातार हो रही घुसपैठ को रोकने की तुरंत आवश्यकता है। भागवत ने कहा कि देश के अंदर घुस आए घुसपैठियों की अविलंब पहचान कर उन्हें वापस भेजने की नीति का पालन करना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के संबंध में आरएसएस प्रमुख ने आरोप लगाया कि भारत इस संबंध में अपनी स्पष्ट रूप से परिभाषित दीर्घकालिक लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में कदम उठाने में असफल रहा है।
उन्होंने कहा कि एक बार चीन और कई बार पाकिस्तान से धोखा खाने के बावजूद बढ़ती घटनाएँ हमें अपरिपक्वता, अस्पष्टता और राजनीतिक व्यवस्था में दूरदर्शिता की कमी की याद दिलाती है। भागवत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का जम्मू-कश्मीर के साथ विलय की वकालत की। उन्होंने कहा कि समस्याएँ लगातार जटिल होती जा रही हैं और हम अवसर खोते जा रहे हैं।
आरएसएस के सरसंघचालक ने कहा कि कश्मीर घाटी में ‘देशभक्त’ ताकतों को मजबूत करने की आवश्यकता है। पूर्वोत्तर के बारे में भागवत ने कहा कि सरकार को कड़ी कार्रवाई तथा सुरक्षा बलों और खुफिया तंत्र को मजबूत कर आतंकवादी गतिविधियों को खत्म करना चाहिए।
कृषि के बारे में आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत को उन नीतियों को खत्म करना चाहिए जिसमें बिना वजह के बहुराष्ट्रीय बीज कंपनियों को आमंत्रित किया जा रहा है और देश की खाद्यान्न सुरक्षा को खतरे में डाला जा रहा है। उन्होंने विश्व व्यापार संगठन की नीतियों को ‘भेदभावपूर्ण’ बताया।
भागवत ने कहा कि चुनावी व्यवस्था को ‘क्रांतिकारी’ बनाने की जरूरत है, लेकिन इस बारे में उन्होंने विस्तार से नहीं बताया। उन्होंने कहा कि हमारी राजनीति, राजनेता और राजनीतिक व्यवस्था को हमारे देश की पहचान, सुरक्षा और अखंडता से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।
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