19 अगस्त, 2009

पार्टी से मेरा निकाला जाना दुखद बात: जसवंत सिंह


भाजपा से निष्‍कासित हुए जसवंत सिंह ने कहा है कि जिस तरह से मुझे पार्टी से निकाला गया है, इससे मैं काफी आहत हुआ हूं. जसवंत सिंह ने कहा कि अगर यही बात मुझे व्‍यक्तिगततौर पर या फिर फोन पर बता दिया गया होता तो मुझे इतना दुख नहीं होता।
प्राथमिक सदस्यता से हटाए जाने के बाद प्रेस कांफ्रेंस करते हुए अपनी पहली प्रतिक्रिया में जसवंतसिंह ने कहा कि मैंने तीस साल तक पार्टी की सेवा की। इस दौरान मुझे मिली हर जिम्मेदारी का मैंने यथाशक्ति निर्वहन किया।
निष्कासन से उपजी निराशा और उसका दर्द जसवंतसिंह के चेहरे पर साफ झलक रहा था। उन्होंने कहा मैं पार्टी का आभारी हूँ।
उन्होंने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि उन्हें इस फैसले से व्यक्तिगत तौर पर कह दिया जाता तो अच्छा होता। उन्होंने कहा अच्छा होता अध्यक्ष राजनाथसिंह और आडवाणी दिल्ली में ही उन्हें इस निर्णय से अवगत करवा देते।
जसवंतसिंह ने कहा मुझे सबसे अधिक चिंता और दुःख इस बात का है कि मात्र किताब लिखने के लिए मुझे पार्टी से निष्कासित किया जा रहा है। मैं सोचता हूँ, भारत के राजनीतिक दलों में सोच, विचार, लेखन और चिंतन आज लगभग बंद सा हो गया है। यह देश के हित में नहीं है।
उन्होंने कहा कांग्रेस मेरी किताब पर कुछ बोले तो समझ में आता है, लेकिन भाजपा इस पर बात करे, यह बात समझ में नहीं आती, लिहाजा मैं इस फैसले पर चुप रहना ही मुनासिब समझता हूँ।

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