30 जुलाई, 2009

मुशर्रफ पर देशद्रोह का केस नहीं


पाकिस्तान में अपने कार्यकाल के दौरान वर्ष 2007 में देश में आपातकाल लागू करने और जजों की बर्खास्तगी के विवादास्पद फैसले को लेकर पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ द्वारा पेशी के समन का उल्लंघन करने के बावजूद पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सैन्य शासक के खिलाफ देशद्रोह का मामला चलाने संबंधी याचिका को गुरुवार को खारिज कर दिया।

देश के शीर्ष न्यायालय ने कहा कि मुशर्रफ के निर्णयों के सही गलत पर बहस करने का उचित मंच संसद है। मुशर्रफ पर देशद्रोह का मामला चलाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट बार संघ के पूर्व अध्यक्ष हामिद खान ने दायर की थी, जिसे चीफ जस्टिस इफ्तिखार मोहम्मद चौधरी ने खारिज कर दिया।

शीर्ष न्यायालय ने गत सप्ताह समन जारी कर मुशर्रफ या उनके वकील को अदालत के समक्ष 29 जुलाई को पेश होकर 2007 में किए गए निर्णयों का स्पष्टीकरण देने को कहा था। सुनवाई के दूसरे दिन आज या कल न तो मुशर्रफ पेश हुए न ही उनके कोई प्रतिनिधि। मुशर्रफ अभी लंदन में हैं।

मुशर्रफ ने चौधरी सहित 60 अन्य जजों को बर्खास्त कर दिया था। चौधरी को इस वर्ष मार्च में पद पर बहाल किया गया था।

'द न्यूज' की खबर के अनुसार, चौधरी ने कहा, इस मामले में न्यायालय किसी को सजा नहीं दे सकता लेकिन 3 नवंबर 2007 के मुशर्रफ के निर्णयों को असंवैधानिक घोषित कर सकता है।

खबर में कहा गया है कि मामले की सुनवाई कर रही 14 सदस्यीय जजों की पीठ के एक अन्य सदस्य जस्टिस शाहिद सिद्दकी ने कहा कि मुशर्रफ के मुकदमे पर फैसला संसद को लेना है।

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