30 जुलाई, 2009

भारी लाभ कमाकर आईओसी गदगद


सरकारी पेट्रोलियम कंपनी इंडियन आयल कार्पोरेशन ने वह कारनामा कर दिखाया है जिसे हासिल करने की तमन्ना हर कंपनी रखती होगी। इंडियन आयल [आईओसी] ने चालू वित्त वर्ष 2009-10 की पहली तिमाही में जितना मुनाफा कमाया है,उतना उसने पिछले पूरे साल [2008-09] में नहीं कमाया था।

हालांकि यह उपलब्धि कंपनी ने अपने प्रमुख कारोबार [रिफाइनिंग व मार्केटिंग] की बदौलत हासिल नहीं की है। परंतु पिछले कई वर्षो से वित्तीय अनिश्चितता से जूझ रही देश की इस सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी के लिए यह छोटी बात नहीं है।

आईओसी ने अप्रैल से जून, 2009 में खत्म तिमाही में कुल 3 हजार 6 सौ 82 करोड़ 83 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया है। पिछले वर्ष की समान तिमाही में कंपनी ने 415.13 करोड़ रुपये का मुनाफा अर्जित किया था। वर्ष 2008-09 में आईओसी को 2 हजार 9 सौ 49 करोड़ 55 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था। जाहिर है कि कंपनी इस वर्ष की पहली तिमाही में पिछले पूरे वर्ष से 24.8 फीसदी ज्यादा मुनाफा कमाने में सफल रही है। यदि पिछले वर्ष की पहली तिमाही से तुलना करें तो यह वृद्धि 780 फीसदी ज्यादा है।

मजेदार तथ्य यह है कि इस दौरान कंपनी ने पिछले वर्ष के मुकाबले सस्ती कीमत पर पेट्रोल-डीजल की बिक्री की है। इससे आईओसी का टर्नओवर इस तिमाही में 21.3 फीसदी कम हुआ है। दरअसल, मुनाफे में इस आशातीत वृद्धि के पीछे मुख्य तौर पर विदेशी मुद्रा से कमाई,पुराने स्टाक की अच्छी कीमत मिलना व ब्याज में कमी जिम्मेदार रहे हैं। पेट्रोरसायन के कारोबार में हाल ही में उतरी कंपनी को इस क्षेत्र से भी खासा मुनाफा हुआ है। जाहिर है कि कंपनी ने रिफाइनरी या पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री जैसे अपने प्रमुख कारोबार से बैलेंस शीट को मजबूत नहीं किया है। आईओसी के सीएमडी सार्थक बेहुरिया ने इस बात को स्वीकार करते हुए कहाकि शुद्ध मुनाफे में रिकार्ड वृद्धि के लिए वे तथ्य जिम्मेदार रहे हैं जिन्हें कभी-कभार ही कंपनियां इस्तेमाल करती हैं। मसलन, पिछले वर्ष कंपनी ने अपने कर्मचारियों के बकाया भत्तों वगैरह का भुगतान किया था। इस वर्ष यह बोझ नहीं था, जिसका असर शुद्ध मुनाफे पर पड़ा है।

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